आदिवासियों को अपने अधिकारों के लिए मिलकर लड़ना होगा : मुख्यमंत्री

By | August 9, 2023


बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव को किया सीएम और शिबू सोरेन ने किया उदघाटन

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रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देश के 13 करोड़ से ज्यादा आदिवासियों से एकजुट होकर लड़ने का अपील की है। उन्होंने कहा कि देश का आदिवासी बिखरा हुआ है। धर्म और जाति के नाम पर बंटा हुआ है। जबकि संस्कृति एक है। अपने अधिकारों के लिए मिल कर लड़ना होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य अतिथि दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने आज दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का उदघाटन रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मैं देश के 13 करोड़ से ज्यादा आदिवासियों •ााइयों बहनों से एक होकर लड़ने का अपील करता हूं। गोंड, मुंडा, भील, कुकी, मीणा, संथाल, असुर, उरांव और चेरो आदि सभी को एक होकर सोचना होगा। आज देश का आदिवासी समाज बिखरा हुआ है। हम जाति-धर्म-क्षेत्र के आधार पर बंटे हुए हैं। जबकि सबकी संस्कृति एक है। खून एक है, तो समाज भी एक होना चाहिए। हमारा लक्ष्य भी एक होना चाहिए। हमारी समस्या का बनावट लगभग एक जैसा है तो हमारी लड़ाई भी एक होनी चाहिए। लगभग सभी हिस्सों में आदिवासी समाज को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा है।

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कहां गये विस्थापित हुए लोग
केंद्र तथा राज्य में सरकार चाहे किन्हीं की हो, आदिवासी समाज के दर्द को कम करने के लिए कभी ज्यादा प्रयास नहीं किये गये। हमारी व्यवस्था कितनी निर्दयी है ? कभी यह पता लगाने का काम भी नहीं किया गया। कहां गए खदानों, डैमों, कारखानों के द्वारा विस्थापित किये गए लोग ? खदानों/ उद्योगों / डैमों से विस्थापित हुए, बेघर हुए लोगों में से 80% आदिवासी हैं।

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कल का किसान आज मजदूरी करने को विवश
काट दिया गया लाखों लोगों को अपनी भाषा से, अपनी संस्कृति से, अपनी जड़ों से। कल का किसान आज वहां साईकिल पर कोयला बेचने को मजबूर है। बड़े-बड़े शहरों में जाकर बर्तन मलने, बच्चे पालने या ईंट भट्ठों में बंधुआ मजदूरी करने के लिए हमको विवश किया गया है। बिना पुनर्वास किये एक्ट बनाकर लाखों एकड़ जमीन कोयला कंपनियों को दिया गया। हमारा झरिया शहर बरसों से आग की भट्ठी पर तप रहा है। लेकिन कोयला कंपनियां एवं भारत सरकार कान में तेल डालकर सोयी हुई है।

आदिवासियों की अनेक भाषाएं गायब हो चुकी हैं
आज देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों की अनेक भाषाएं गायब हो चुकी हैं या गायब होने के कगार पर है। आदिवासियों के देवी-देवताओं को दूसरे लोग हथिया रहे हैं या उन्हें अपने देवता थमा रहे हैं। आज हमारे जीवन को आस्था के केन्द्रों से बांधने का प्रयास किया जा रहा है।

आदिवासी समूहों के बीच परस्पर संवाद शुरू हो
सीएम ने कहा कि मेरी चाहत है कि विभिन्न आदिवासी समूहों के बीच परस्पर संवाद शुरू हो। आज जो हम विभाजित हैं, असंगठित हैं, यही कारण है कि मणिपुर के आदिवासी उत्पीड़न का विषय झारखंड के मुंडा लोगों का विषय नहीं बन पा रहा है। राजस्थान के मीणा भाई के दर्द को मध्य प्रदेश के भील अपना मान कर आगे नहीं आ रहे।

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