हाई ब्लड प्रेशर की वजह से कम उम्र में हड्डियों की गंभीर बीमारी का खतरा

By | January 16, 2023
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ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखना आज के दौर में लोगों के लिए एक मुश्किल टास्क बन चुका है। लाखों की तादाद में लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं। जब हमारा ब्लड प्रेशर नॉर्मल से ज्यादा हो जाता है, तो इससे हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है और हार्ट अटैक जैसी गंभीर कंडीशन का खतरा मंडराने लगता है। हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। अब तक आपने सुना होगा हाइपरटेंशन से कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ बुरी तरह प्रभावित होती है, लेकिन एक हालिया स्टडी में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इसमें बताया गया है कि इसकी वजह से हड्डियों पर भी काफी असर पड़ता है। इस स्टडी के बारे में विस्तार से जान लीजिए।
अमेरिका की वेंडरब्लिट यूनिवर्सिटी के शोधकतार्ओं ने इस बारे में एक स्टडी की थी। इसमें खुलासा हुआ है कि हाई ब्लड प्रेशर की वजह से बोन लॉस यानी हड्डियां कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है। यह स्टडी चूहों पर की गई थी। मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी में हाइपरटेंशन की वजह से कम उम्र के चूहों में बोन लॉस की समस्या देखी गई। इतना ही नहीं चूहों में हाइपरटेंशन की वजह से इन्फ्लेमेशन बढ़ गया, जिसका असर हड्डियों पर देखने को मिला। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह बात कुछ हद तक इंसानों पर भी लागू हो सकती है।
हो सकती है यह बीमारी : अब तक यह बात कई स्टडी में सामने आ चुकी है कि हाई ब्लड प्रेशर से आॅस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यह एक ऐसी डिजीज है, जो हड्डियों की मिनरल डेंसिटी कम करके उन्हें कमजोर बना देती है। इससे बोन का स्ट्रक्चर भी बिगड़ जाता है और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग हाई ब्लड कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं, उनको हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा ज्यादा होता है। हालांकि कुछ ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं, जिनसे हड्डियों की स्ट्रैंथ बढ़ सकती है और ओस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर्स का खतरा कम हो सकता है।
बेहद महत्वपूर्ण है यह स्टडी : शोधकतार्ओं का कहना है कि चूहों पर की गई स्टडी के डाटा से इंसानों और आॅस्टियोपोरोसिस के बीच लिंक जानने में बड़ी मदद मिल सकती है। इसलिए इस स्टडी का डाटा बेहद महत्वपूर्ण है। एक और खास बात यह है कि हाइपरटेंशन का असर इम्यून सिस्टम पर भी देखने को मिला। अगर यह बात इंसानों पर भी सही साबित हुई तो इससे कई अन्य बीमारियों के साथ हाई ब्लड प्रेशर के लिंक को ढूंढने में आसानी हो सकेगी। साथ ही कम उम्र में हाइपरटेंशन को डिटेक्ट करना आसान हो जाएगा।

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