- पुतिन ने यूक्रेन को परमाणु हमले की धमकी दी
- टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन की जाने ताकत
- सबसे ज्यादा दुनिया में परमाणु बम रूस के पास
मास्को: यूक्रेन के पूर्वी इलाके में करारी शिकस्त का सामना कर रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 3 लाख रिजर्व सैनिकों को तैनात करने का आदेश दे दिया है। पुतिन ने परमाणु हथियारों की ओर इशारा करते हुए धमकी दी है कि अगर यूक्रेन के कब्जा किए हुए इलाके पर अगर किसी ने हमला किया तो उसका करारा जवाब दिया जाएगा। पुतिन के करीबी दमित्री मेदवेदेव ने भी परमाणु हमले की धमकी दी है। इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि रूस अगर यूक्रेन में न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल करता है तो यह ‘टैक्टिकल’ होगा और ठीक उसी तरह से विनाश होगा जैसे जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में हुआ था।
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने पिछले सप्ताह चेतावनी दी थी कि देश की क्षेत्रीय अखंडता, रूस और हमारे लोगों की रक्षा के लिए हम हर उपलब्ध हथियार का इस्तेमाल करेंगे। यह झांसा नहीं है। अमेरिकी परमाणु वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास इस समय 4,477 परमाणु हथियार हैं। इसमें 1,900 गैर रणनीतिक वारहेड हैं। बाकी बचे हथियार टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हैं। आइए जानते हैं कि रूस के टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कितने खतरनाक हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक टैक्टिकल परमाणु वॉरहेड को इस तरह से बनाया गया है कि उनका सीमित युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके जरिए किसी टैंक के जत्थे या अगर समुद्र में इस्तेमाल किया गया तो एक एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप को तबाह किया जा सकता है। इस तरह के वॉरहेड में 10 से लेकर 100 किलोटन डायनामाइट की ताकत होती है। इसे कम क्षमता का परमाणु बम भी कहा जाता है। इससे उलट रूस के पास जो सबसे ताकतवर ‘स्ट्रेटजिक’ परमाणु बम है, उसमें 500 से लेकर 800 किलोटन तक विस्फोटक की क्षमता होती है। इस परमाणु बम की मदद से पूरे के पूरे शहर को राख के ढेर में बदला जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को ‘कम क्षमता’ का बताना पूरी तरह से ‘भ्रामक’ है क्योंकि इन बमों की विस्फोटक ताकत 10 से 100 किलोटन डायनामाइट तक होती है जिससे व्यापक तबाही मच सकती है। ये उसी तरह से बर्बादी मचा सकते हैं, जैसे हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिका के गिराए परमाणु बम ने मचाई थी। साल 1945 में गिराए गए इन परमाणु बमों में भी 15 से 21 किलोटन डायनामाइट की विनाशक क्षमता थी। अमेरिका सरकार के डेटा के मुताबिक हिरोशिमा और नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोट में तत्काल क्रमश: 70 हजार और 35 हजार लोग मारे गए थे।
इसके बाद के वर्षों में लाखों लोग रेडिएशन की वजह से मारे गए थे। वैज्ञानिक एलेक्स वेल्लेरस्टीन का मानना है कि स्ट्रेटजिक और टैक्टिकल परमाणु हथियारों में मुख्य अंतर उनकी विस्फोटक क्षमता नहीं बल्कि उनका लक्ष्य होता है। उन्होंने कहा कि जापान में गिराए गए परमाणु बम का मकसद ‘स्ट्रेटजिक’ था ताकि जापान के आत्मविश्वास को तोड़ा जा सके और उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया जा सके। वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों ही में कोई अंतर नहीं होता है और प्रत्येक परमाणु बम गेमचेंजर होता है। रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु बम हैं और इसी वजह से दुनिया में यूक्रेन को लेकर डर का माहौल है।