अग्रसेन भवन में हो रहा है अखंड सवा लाख श्री हनुमान चालीसा पाठ
रांची। यदि आप नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो निश्चित ही आप सभी तरह-तरह की बुराइयों, हर विकार से दूर होते चले जाएंगे। यह कहना था श्री बालाजी नर्सिंग धाम बर्नपुर से पधारे संतोष भाई जी का। वे आज श्री अग्रसेन भवन मैं चल रहे अखंड सवा लाख श्री हनुमान चालीसा पाठ में आए श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुष्ट संगत में रहकर नशा करना, पराई स्त्री पर नजर रखना और क्रोध, मोह, लोभ जैसे मानसिक विकारों से दूर होने का सर्वश्रेष्ठ उपाय हनुमान चालीसा है। संतोष भाई जी ने हनुमत दरबार में पहुंचे हजारों शिष्यों को नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करने का आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर सुबह का भंडारा प्रकाश अग्रवाल, अंकुर जैन, कालीचरण सिंघानिया और कमल मोर तथा शाम का भंडारा अनुराग सिंघानिया और मुन्ना सरावगी द्वारा किया गया। आज शुक्रवार को दूध का सवामणी भोग प्रकाश जी गोयल के द्वारा चढ़ाया गया। यह जानकारी आयोजक मंडल के विनोद पांडेय ने दी
महाराजा अग्रसेन भवन में अखंड सवा लाख श्री हनुमान चालीसा का पाठ शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। रोज की तरह सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक अपने अनुयायियों को परेशानियों को दूर करने वाले मंत्रों का प्रसाद देते हुए संतोष भाई जी ने कहा यदि किसी तरह की परेशानी है तो परिवार के सदस्य तनाव में रहने लगेंगे और धीरे-धीरे उन्हें शारीरिक और मानसिक रोग घेर लेंगे।नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन में शांति की धारा बहती है, कलह मिटती है और घर में खुशी का माहौल बनता है। मानसिक परेशानी से शरीर में तरह-तरह के रोग लगते हैं। यदि पवित्र रहकर नियमपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ा जाए तो बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि जागृत और सर्व शक्तिशाली देवताओं में एकमात्र हनुमान जी की कृपा जिस पर बरसनी शुरू होती है, उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। इस कलयुग में सबसे ज्यादा जागृत और साक्षात हनुमान है। हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं ने दरबार में पहुंचना शुरू कर दिया था। इधर श्रीराम हनुमत कथा को जारी रखते हुए बनारस से आए प्रख्यात कथावाचक राम मोहन महाराज ने भगवान शिव की स्तुति हर हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ शंभू माता पार्वती संग हर-हर विश्वनाथ शंभू गायन करते हुए श्री हनुमान के भाव का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी शिव का स्थान सभी देवताओं में सर्वोपरि है, भारत ही नहीं पूरी दुनिया में शिव की आराधना किसी ना किसी रूप में की जाती है भगवान आशु के शिव को इस सृष्टि का नियंता पालनकर्ता संहारक माना गया है उन्हीं की इच्छा से इस सृष्टि का आविर्भाव होता है और उन्हीं की इच्छा से इसका विनाश होता है वह अनादि सिद्ध परमेश्वर और सभी देशों में प्रधान है भगवान शिव को अजन्मा अव्यक्त और विश्व सृष्टा माना गया है। शिव का अर्थ कल्याण स्वरूप अर्थात सभी का भला करने वाला है विश्व कल्याण के लिए वह स्वयं गरल का पान करने वाले नीलकंठ हैं और संसार में प्रलय मिटाने वाले नटराज भी हैं स्वयंभू भगवान है और सभी देवी दानवों के आराध्य भी है।