गवर्नर सीपी राधाकृष्णन से विशेष बातचीत

By | May 3, 2023

पांच साल में बदल सकती है राज्य की सूरत

दो महीने के अंदर मैं हिन्दी में बात करने लगूंगा : गवर्नर
रांची। झारखंड जैसे राज्य में विकास की अपार संभावना है। यदि सही दिशा में प्लान बनाकर कार्य हो तो अगले पांच साल में राज्य की सूरत पूरी तरह से बदल सकती है। यह कहना है झारखंड के राज्यपाल महामहिम सीपी राधाकृष्णन का। गांडीव के संपादक अमरकांत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने झारखंड के अबतक के अनुभव, राज्य के विकास के रोडमैप, पक्ष-विपक्ष की राजनीति से लेकर आदिवासी और विलुप्त होते आदिम जनजातियों तक के मुद्दे पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि राजनीति करना बुरा नहीं है, लेकिन राजनीति के चक्कर मेें विकास की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। श्री राधाकृष्णन ने कहा कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस सोच के साथ उन्हें यह गंभीर दायित्व सौंपा है, उसे हर हाल में पूरा करने की वे हर संभव कोशिश करेंगे।


राजभवन नहीं, प्रखंडों में बीतेगा मेरा समय
गवर्नर श्री राधाकृष्णन ने कहा कि एक राज्यपाल के रूप में वे अपना ज्यादा समय राजभवन की जगह राज्य के प्रखंडों और सुदूर गांवों में बिताना चाहते हैं। अपनी इस मंशा से उन्होंने राज्य सरकार को अवगत करवा दिया है और उनसे प्लान बनाकर देने को कहा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे पांच-पांच दिन के हिसाब से उनके गांव-प्रखंड भ्रमण का कार्यक्रम तैयार करें, ताकि वे गांवों के जमीनी हकीकत को खुद अपनी आंखो से देख सकें। इससे उनको विकास का रोडमैप तैयार करने में सहुलियत होगी।


हर काम राजनीति के चश्मे से न देखें
झारखंड की राजनीति पर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हर राज्य में पक्ष-विपक्ष होता है। बतौर गवर्नर अब वे राजनीति तो नहीं करेंगे। दिशोम गुरु शिबू सोरेन से मिलने प्रोटोकॉल तोड़कर उनके घर जाने और उसपर चल रही सियासी अटकलबाजी पर उन्होंने कहा कि श्री सोरेन से लोकसभा में बतौर सांसद उनका परिचय था। इस वजह से मैं उनसे मिलने गया। उन्होंने तमिलनाडु की चर्चा करते हुए कहा कि संघ और भाजपा से होने के बावजूद उनको डीएमके, एडीएमके समेत अन्य सभी विपक्षी दलों के नेताओं से मधुर संबंध रहा है।


अच्छे-अच्छे गांव में घूमा रहे हैं कलेक्टर
कम समय में ही झारखंड के नए गवर्नर सीपी राधाकृष्णन कई क्षेत्रों-गांवों का भ्रमण कर ग्रामीणों से बातचीत कर चुके हैं। उनको यहां क्या दिखा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरी यह कोशिश है कि मैं राजधानी के बाहर रह रहे लोगों का जीवन-स्तर देखकर उसके आधार पर अपनी योजना बनाऊं। इसके लिए मैंने राज्य सरकार के अधिकारियों को कह दिया है कि महीने में कम से कम दस दिन का मेरा गांव-पंचायत का टूर-प्रोग्राम बना कर दें, ताकि मैं झारखंड को अच्छे से समझ सकूं। उन्होंने मुस्कुराते हुए टिप्पणी की कि हालांकि कलेक्टर मुझको अभी वैसे गांव में ही घूमा रहे हैं, जिनका विकास हुआ है, जिनकी हालत अच्छी है। यदि सचमुच झारखंड के सभी गांव ऐसे हैं, तो फिर यह संतोष करने लायक बात होगी। लेकिन मुझको अभी इस पर भरोसा नहीं है। मैं जल्द ही अपनी सूचना के आधार पर अपना टूर प्रोग्राम बनाऊंगा।


बहुत सीधे-सादे हैं झारखंड के आदिवासी
गवर्नर श्री राधाकृष्णन ने कहा कि झारखंड में अबतक जितना मैंने घूमा है, जितने आदिवासी भाई-बहनों से मिला हूं, उनको देखकर एक बात तो स्पष्ट कह सकता हूं कि झारखंड के आदिवासी भाई-बहन बहुत सीधे-सादे हैं। लेकिन, इस बात से तकलीफ होती है कि उनके जीवन स्थिति में जो बदलाव लाया जा सकता था, वह नहीं हो सका है। यहां के गांवों में कृषि, सिंचाई, सड़क जैसी समस्या उनके विकास में अभी भी बाधक बनी हुई है। इसका प्लान यदि ठीक से किया जाए, तो इस स्थिति को बहुत हद तक बदला जा सकता है। मेरा यही प्रयास होगा कि मैं अधिक से अधिक समय गांवों-पंचायतों को दूं, ताकि उनकी समस्याओं का तीव्र गति से निष्पादन हो सके। आदिम जनजातियों की आज जो हालत है, वह काफी चिंताजनक है। उनके लिए रोडमैप बनवाने की कोशिश करुंगा।


मैं तेजी से सीख रहा हूं हिंदी
हिंदी में बातचीत में परेशानी होने के सवाल पर श्री राधाकृष्णन ने कहा कि स्थानीय भाषा में संप्रेषण की महत्ता वे समझते हैं। कोई व्यक्ति अपने दु:ख-दर्द को अपनी मातृभाषा में ज्यादा आसानी से व्यक्त कर पाता है। यही वजह है कि वे हिंदी सीखने में तत्परता से जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई उनसे हिंदी में बात करता है, तो वे समझ लेते हैं, पर हिंदी में जवाब अभी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि अगले दो महीने में वे लोगों से हिंदी में बात करने लगेंगे, इसके लिए वे तेजी से हिंदी सीख रहे हैं।

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राजभवन मेें नहीं पेंडिंग रहेगी कोई फाइल
बातचीत के दौरान ही गवर्नर के एडीसी श्रीकांत सुरेश राव खोतरे राजभवन के पदाधिकारी के साथ एक फाइल लेकर पहुंचे। उनके हाथ से फाइल लेकर गवर्नर श्री राधाकृष्णन ने तत्काल उसको पढ़ा और फिर उसपर अपनी टिप्पणी अंकित कर हाथों-हाथ फाइल लौटा दी। इसपर चर्चा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि मैं काम को तुरंत निपटाने में भरोसा करता हूं। राजभवन हो या मेरा टेबल, मैं किसी फाइल को पेंडिंग रखने में विश्वास नहीं करता। मेरे कार्यकाल में फाइल पेंडिंग नहीं रहेगी। पुरानी फाइलें जो राजभवन में पहले से लंबित है, उनके बारे में पूछे जाने पर उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि अभी मैं अपने कार्यकाल की फाइलों की बात कर रहा हूं। जो फाइलें पहले से लंबित हैं, उनको भी जल्द ही निपटा दिया जाएगा।

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