इस बार नौका पर हो रहा मां दुर्गे का आगमन
इस बार चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रहा है और इनका समापन 30 मार्च होगा। इस बार मां दुर्गा का आगमन नौका पर हो रहा है। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की सभी इच्छाएं पूरा करने वाला माना जाता है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी बुधवार को अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है।
आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि ब्रह्म योग 22 मार्च को सुबह 10 बजे से 23 मार्च सुबह 7.40 बजे तक रहेगा और शुक्ल योग 21 मार्च को रात 12.42 से अगले दिन सुबह 10.40 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन शुभ योग में पूजा-पाठ करने से साधक को इच्छापूर्ति का आशीर्वाद मिलता है और सभी दुखों का नाश होता है। प्रतिपदा रात्रि 9.31 बजे तक होने से दिन भर कलश स्थापना किया जा सकता है।
उन्हाेंने कहा कि नवरात्र में कार्य को सुचारू रूप से करना हो या लक्ष्मी का अपने घर में स्थिर रखने के लिए वृष लग्न और सिंह लग्न सबसे बेहतर है। कार्य में बाधा उत्पन्न होने से कार्य नही होने और कार्य का परिणाम नहीं मिलने पर अमृत योग में कलश स्थापना करना चाहिए। गृह वास्तु दोष या तंत्र का बाधा से परेशानी हो रहा है, तो उस स्थिति में शुभ और चर योग में कलश स्थापना कर के माता का पूजा करना चाहिए।
चैत्र नवरात्र का पहला दिन, शहर में होंगे कई कार्यक्रम
1. बुधवार को संस्कृति संवर्धन समिति ने दीया दान कार्यक्रम का आयोजन सूर्य मंदिर, विवेकानंद सरोवर में प्रातः 5 बजे से आयोजित किया है। डॉ. एमपी सिंह ने कहा इसे हम एक अभियान के तरह चला रहे हैं, ताकि लोग अपने नववर्ष को पहचाने जो भारतीय हैं।
2. श्री महावीर मंडल डोरंडा केंद्रीय समिति द्वारा बुधवार की संध्या 7 बजे से महाआरती का आयोजन झंडा चौक महावीर मंदिर में की गई है। संध्या 6 बजे से भजन संध्या का आयोजन होगा। 501 महिलाओं द्वारा आरती की जाएगी।
इस बार पूरे नौ दिनों के होंगे व्रत
श्री राम जानकी तपोवन मंदिर के महंत ओम प्रकाश शरण के अनुसार चैत्र नवरात्र प्रतिपदा से ही नया हिंदू वर्ष शुरू होता है। चैत्र नवरात्र में इस बार पूरे नौ दिनों के नवरात्र होंगे। इन नवरात्र की खास बात यह है कि नवरात्र से एक दिन पहले पंचक लगा है।
पंचक 19 मार्च से शुरू हो चुके हैं और 23 मार्च को खत्म होंगे। दुर्गा मंदिर रातू रोड के पुजारी पंडित संतोष पाठक ने बताया कि चैत्र नवरात्र की काफी मान्यताएं हैं। चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू वर्ष शुरू होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्र में ही हुआ था। इसलिए धार्मिक दृष्टि से भी चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है।
नौ दिन नहीं तो एक दिन व्रत कर पा सकते हैं मां का आशीर्वाद
नवरात्र को लेकर लोगों में काफी उत्साह नजर आता है। अधिकांश लोगों को नवरात्र के समय यात्रा पर जाना होता है। अन्य कार्य होने पर भी नौ दिन पूजा और उपवास नहीं रख पाते। अगर नौ दिन उपवास नहीं रख पाते हैं तो अपनी सुविधानुसार सप्तरात्र, पंचरात्र, त्रिरात्र या एक रात्र और युग्मरात्र उपवास करना चाहिए। प्रतिपदा से सप्तमी तक उपवास करने को सप्तरात्र व्रत कहा जाता है।