रांची | अपने अधिकारों को लेकर अनुसूचित जाति के लोग झारखंड के सभी जिलों से धुर्वा के शहीद मैदान पहुंचने वाली थी लेकिन रांची पुलिस ने अलग-अलग जगहो पर उन्हें रोक कर रखा है बता दे कि हजारों की संख्या में भीड़ एकत्रित होने वाली थी जिसके बाद पुलिस को सूचना मिलते ही रिंग रोड सहित अन्य जगहों पर रोक कर रखा है। वहीं अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर पी रंजन पुलिस के रवैये से नाराज होकर झारखंड के डीजीपी को फोन कर जानकारी दी और उनके लोगों को छोड़ने की बात कही
वहीँ इस कार्यक्रम में आ रहे लोगों को पुलिस के द्वारा रोकने और कार्यक्रम पर नहीं आने देने पर अखिल भारतीय अनुसूचित जाति के सचिव मुकेश नायक ने कहा दलील को ऐसे ही दबाया गया और आज ऐसे ही मुंह को दबाने के लिए हमारे लोगों को रास्ते पर ही रोक रखा है इससे साफ पता चलता है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दलितों के प्रति का सोच रखता है, संविधानिक अधिकार पर रोक लगाया है जल्द जवाब दिया जाएगा
झारखण्ड विभाजन के पश्चात, झारखण्ड राज्य की अनुसूचित जातियाँ हाशिए में आ गयी है। झारखण्ड में अनुसूचित जाति के लोगों को शासन-प्रशासन से दरकिनार किया जाता रहा है, जिसका परिणाम है कि वर्तमान समय में झारखण्ड सरकार के आयोग, बोर्ड एवं निगम में अनुसूचित जाति के लोगों को तरजीह नहीं दिया गया है। अंतः सरकार के विभिन्न विभाग, आयोग, बोर्ड एवं निगम में अनुसूचित जाति के पद अब भी रिक्त पड़े हुए है, अनुसूचित जाति आयोग क्रियाशील नहीं है, आखिर अनुसूचित जाति के लोग गुहार लगाए तो कहाँ लगाये ? झारखण्ड के सम्पूर्ण जनसंख्या का 15% ( लगभग 60 लाख) अनुसूचित जाति के लोग असंतुष्ट, लाचार, विवश, एवं असहाय सा महसूस कर रहे है।
आप सभी मीडिया के प्रतिनिधि से अनुरोध है कि इस सम्मेलन में उल्लेखित हमारी समस्याओं को अपने मीडिया के मध्यम से सरकार एवं समाज तक पहुँचाने में हमारी मदद करें, ताकि झारखण्ड सहित पूरे देश में अनुसूचित जाति के लोगों को हक सम्मान व अधिकार मिल सके।
साथियों आपसबों को सादर सूचित करते हुए कहना है कि अनुसूचित जाति के लोगों की एकता के अभाव में हम सामाजिक-आर्थिकराजनीतिक रूप से दिनों-दिन पिछड़ते जा रहे हैं, परिणामस्वरूप सरकारें द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों को तरजीह नहीं दिया जाता है, ऐसा महसूस होता है, कि हमसब सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गए हैं। अब हम और सहन नहीं करेंगे, अतः सभी अनुसूचित जाति के लोगों से विनम्र आग्रह है, कि जाति समुदाय की राजनीति को पीछे छोड़कर एक मंच पर आना है ताकि सरकार को आँख दिखाकर अपने हक और अधिकार की मांग प्रभावी तरीके से करना है, तभी हमसबों के अधिकार और सम्मान सुरक्षित रह पाएगा। महासभा के माध्यम से सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगों को रखा जाना है:
‘Tribes Advisory Council’ की तरह ‘Scheduled Caste Advisory Council’ सरकार द्वारा बनाया जाए। झारखण्ड सरकार द्वारा अनुसूचित जाति आयोग को अतिशीघ्र क्रियाशील किया जाए।
झारखण्ड सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया जाए ।
झारखण्ड सरकार में अनुसूचित जाति के विधायक को मंत्री बनाया जाए।
विभिन्न विभागों, बोर्ड, निगम, कमिटी एवं आयोग में अनुसूचित जातियों की भागीदारी सुनिश्चित किया जाए।
2 अप्रैल 2018 को मूलनिवासियों द्वारा किए गए आंदोलन आधारित हुए मुकदमों को वापस लिया जाए।
झारखण्ड सरकार द्वारा दिये जाने वाले ठेका – प्रथा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए।
अनुसूचित-जाति की जनसंख्या के अनुपात पर राज्य में आरक्षण की व्यवस्था (14%) को सुनिश्चित किया जाए।
अनुसूचित जातियों के द्वारा CNT Free जमीन की खरीददारी पर उसे CNT में परिवर्तित न किया जाए।
● ● ● 1932 के तहत भूमिहीन व खतियान – विहीन अनुसूचित जाति (झारखण्ड में लगभग 73% आबादी भूमिहीन अर्थात खतियान नहीं है)), के लिए जाति प्रमाणपत्र एवं आवासीय प्रमाणपत्र बनाने संबंधी समस्याओं का समाधान एक साथ समुचित रूप से किया जाए। भूमिहीन अनुसूचित जाति के लोगों को घर बनाने हेतू पर्याप्त जमीन व 100% परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराएँ। अनुसूचित जाति के महिलाओं एवं लड़कियों के प्रति हो रहे भेदभाव, उत्पीड़न एवं बलात्कार के मामलों पर कड़ी कार्यवाई की जाएँ।
साथ ही उत्पीड़न एवं बलात्कार के लंबित सभी मामलों पर अतिशीग्र कार्यवाई किया जाए।
सरकारी एवं प्राइवेट कार्यालयों में अनुसूचित जाति के कर्मचारियों के साथ भेद-भाव, उत्पीड़न एवं शोषण पर पूर्णतः रोक लगे। अनुसूचित जातियों के लिए बैंक लोन की व्यवस्था सुलभ हो।
अनुसूचित जाति के लोगों का विकास उन्हीं के द्वारा बनाए गए सहकारी समितियों द्वारा किया जाए।
सभी जिलों में अंबेडकर भवन के लिए जमीन एवं कोष की व्यवस्था अतिशीग्र उपलब्ध कराया जाए।
● अनुसूचित जाति के मेघवी छात्र/छात्राओं को सरकारी अनुदान पर विदेश में उच्च शिक्षा दिलाने में प्राथमिकता दी जाए। Right to Education के तहत सभी प्राइवेट विद्यालयों में अनुसूचित जाति के विदार्थियों का नामांकन सुनिश्चित किए जाएँ। जवाहर नवोदय विद्यालय एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव, उत्पीड़न एवं शोषण पूर्णतः बंद हो। राज्य सरकार द्वारा संचालित (कल्याण विभाग) अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालयों को सुदृढ़ किए जाए।
अनुसूचित-जाति के विदार्थियों के लिए प्रत्येक जिलों मे अवसीय विद्यालय की व्यवस्था किया जाए।
अनुसूचित जाति के विदार्थियों के लिए प्रत्येक जिलों मे हॉस्टल का निर्माण हो ।
अनुसूचित जाति के युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए।
● झारखण्ड में अनुसूचित-जाति के लोगों को 100% अनुदान पर ऋण व रोजगार हेतु उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए। सफाई कर्मचारियों का वेतन निर्धारण एवं वेतन वृद्धि किया जाए, साथ ही उनके नौकरी को रेगुलर किया जाए। सड़क किनारे जूता बनाने वाले लोगों के लिए सरकार द्वारा निःशुल्क दुकान आवंटित किया जाए।
राँची, हजारीबाग, पलामू एवं गढ़वा में मेयर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया जाए। अनुसूचित जाति के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर हथियार (बंदूक) का लाईसेंस निर्गत किया जाए