स्विचआॅन फाउंडेशन का वेबिनार में शामिल हुए डॉक्टरों का पैनल
रांची। झारखंड और पश्चिम बंगाल के प्रमुख डॉक्टरों और स्वास्थ्य चिकित्सकों ने कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या और वायु प्रदूषण के प्रभाव पर तत्काल चेतावनी जारी की है। स्विचआॅन फाउंडेशन ने एसोसिएशन आॅफ रेडिएशन आॅन्कोलॉजिस्ट आॅफ इंडिया के सहयोग से एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में चेस्ट काउंसिल आॅफ इंडिया, वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम, सैमसा, एएमएसए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, एस्पायर, जीजीएमसी राइज, जीबीएमसी मुंबई के डॉक्टरों ने परिवेशी वायु प्रदूषण के खतरनाक मिश्रणों के बारे में बताया। डॉक्टरों के अनुसार झारखंड के शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले कुछ समय से खतरनाक रूप से खराब वायु गुणवत्ता दिखा रहे हैं। जिससे आबादी का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। डॉ नम्रता अग्रवाल महंसरिया एमबीबीएस, एमएस जनरल सर्जरी, सर्जिकल आॅन्कोलॉजी में फैलोशिप, रांची ने कहा कि डीजल से चलने वाले आॅटो और अन्य वाहनों, कोयले की धूल और औद्योगिक धुएं को छोड़ने वाली खदानों और लगातार बढ़ती दर के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। निरुपम शरण कंसल्टेंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, द हैप्पी लंग्स, रांची ने कहा कि बच्चों में परिवेशी वायु प्रदूषकों और फेफड़ों के रोगों के स्तर के बीच संबंध है। साक्ष्य बताते हैं कि प्रारंभिक जीवन में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बचपन में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। डॉ सुबोध कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ, रेनबो क्लिनिक रांची ने कहा कि वायु प्रदूषण के प्रभावों को रोकने के लिए, हमें खाना पकाने के लिए एयर प्यूरीफायर, एलपीजी, बायो गैस या सोलर स्टोर या ओवन का उपयोग करना चाहिए और घर पर एयर फ्रेशनर से बचने की कोशिश करनी चाहिए। इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण मेडिकल स्टूडेंट एंगेजमेंट प्रोग्राम क्लीन एयर मेडिकल स्टूडेंट एंबेसडर प्रोग्राम लॉन्च किया। मौके पर स्विचआॅन फाउंडेशन के एमडी विनय जाजू ने कहा कि युवा और मेडिकल छात्रों द्वारा प्रमुख वैश्विक पर्यावरण आंदोलन चलाए जा रहे हैं, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भविष्य हैं, समाज में व्यापक जागरूकता की आवश्यकता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।