गुरूवार तक 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में होगी और गिरावट
10 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चलने से हो रहा है कनकनी का एहसास
रांची। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश सहित पहाड़ों में हो रहे बर्फबारी से झारखंड के सभी हिस्सों में कनकनी बढ़ गई है। लोगों को अगले कुछ दिनों तक कंपकंपाती ठंड से राहत मिलने वाली नहीं है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक अभी और भी पारा लुढ़कने की आशंका जताई है। रविवार की रात इस सीजन की सबसे ठंडी रात रही। राजधानी सहित पूरे राज्य के जिलों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई। कनकनी के कारण लोगों को खासे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुबह की शुरूआत ठंड और कोहरे से हुई। वहीं, दिन में धूप खिली रहने के कारण लोगों को थोड़ी राहत मिली। हालांकि अधिकतम 10 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चलने का कारण लोगों को कनकनी का एहसास हो रहा है। सुबह और शाम लोगों को ठंड के कारण खास परेशानी का सामना करना पड़ेगा। दिन में अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास और न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। रांची में रात में आसमान साफ रहने की उम्मीद है। हालांकि ओस गिरेगी। उत्तर भारत से आने वाली ठंडी हवा के कारण राज्य के लगभग सभी हिस्सों में कंपकंपी है। मौसम विभाग के अनुसार अगले चार दिनों तक राज्य में लोगों को ठंड से राहत नहीं मिलने की उम्मीद है। गुरुवार तक राज्य के औसत न्यूनतम तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की और गिरावट हो सकती है।
कई जिलों में आज और अधिक रहेगी कंपकंपी
आज राज्य में कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, देवघर, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, पाकुड़, रांची, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, खूंटी और रामगढ़ के तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की कमी आएगी। वहीं पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिहंभूम, सिमडेगा और सरायकेला-खरसावां में तीन से चार डिग्री तापमान में कमी आने की आशंका है। इस दौरान उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण कनकनी बढ़ेगी।
सबसे कम तापमान रांची के कांके का रहा
पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में सबसे कम तापमान रांची के कांके केवीके में 4.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मैकलुस्कीगंज का पारा 1.8 डिग्री सेल्सियस रहा। दूसरी ओर सबसे ज्यादा तापमान गोड्डा और पाकुड़ केवीके में 27.1 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
आलू की खेती करने वाले किसानों रहे सचेत : बीएयू
अचानक बढ़ी ठंड के बीच बिरसा कृषि विवि ने किसानों के लिए बुलेटिन जारी किया है। इसके अनुसार किसान कम होते तापमान के बीच खेत में हल्की सिंचाई करते रहें। इससे फसल में पाला मारने की आशंका कम होगी। तापमान के कम होने से सब्जी के साथ सरसों की फली को नुकसान होने की आशंका नहीं है। हालांकि आलू की खेती करने वाले किसानों को सचेत रहने की जरूरत है।