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शाह ब्रदर्स का गड़बड़झाला- अफसरों की मिलीभगत से अरबों का हुआ खेल

by Gandiv Live
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लौह अयस्क था 3.5 लाख टन, बेचने का परमिशन लिया 5.7 लाख टन
आईटी की जांच में पकड़ में आया पूरा मामला, अब ईडी करेगी जांच


गांडीव ब्रेकिंग
रांची। झारखंड में लोहे-कोयले की लूट कोई नयी बात नहीं है। हर नया घोटाला पुराने घोटाले को बौना साबित करता रहा है। इसी कड़ी में नया घोटाला सामने आया है शाह ब्रदर्स का लौह अयस्क घोटाला। हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की छापेमारी में अरबों रुपये के इस घोटाले की पहली आधिकारिक झलक सामने आयी है। इनकम टैक्स के अधिकारियों ने जांच के दौरान देखा कि शाह ब्रदर्स लौह अयस्क से अरबों रुपये का घोटाला कर सरकारी राजस्व को बड़ी चपत लगा रहा है। आईटी डिपार्टमेंट द्वारा प्रेस को जारी वक्तव्य में इस घोटाले का स्पष्ट इशारा दिख रहा है।
कैसे हो रहा था खेल
शाह ब्रदर्स ने अगस्त 2020 में झारखंड सरकार के माइनिंग डिपार्टमेंट को जो मासिक रिटर्न भरा था, उसके अनुरुप उनके करमपदा माइंस में 350650.890 टन लौह अयस्क मौजूद था। लेकिन माइंस का लीज रद्द होने के बाद अधिकारियों को मिलाकर शाह ब्रदर्स ने प्रदूषण विभाग से 570000 टन लौह अयस्क उठाव का परमिशन ले लिया। इसके बाद नियमविरुद्ध तरीके से खान से ज्यादा मात्रा में लौह अयस्क निकालकर बाजार में बेचा जा रहा था। सवाल यह है कि लीज रद्द होने के समय स्टॉक में यदि 3.5 लाख टन लौह अयस्क ही मौजूद था, तो 5.7 लाख टन लौह अयस्क निकालने का परमिशन कैसे मिल गया।
बाजार में आये उछाल से अरबों का हुआ फायदा
यदि करमपदा माइंस में शाह ब्रदर्स द्वारा दाखिल मासिक रिटर्न को ही सही मान लें तो 3.5 लाख टन लौह अयस्क का 2019-20 में आईबीएम मूल्य (2000 रुपये प्रति टन) के हिसाब से लगभग 70 करोड़ रुपये मूल्य होता है। हालांकि, 20-21 और 21-22 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ने के कारण इसी माल का कीमत लगभग 400 करोड़ रुपया हो गया। यदि इस दौरान 3.5 लाख टन के स्टॉक की जगह परमिशन के अनुरुप 5.7 लाख टन की निकासी हुई होगी तो यह आंकड़ा 700 करोड़ के आसपास हो जाता है।
कान में तेल डाल सोये रहे माइनिंग अफसर
शाह ब्रदर्स द्वारा अक्टूबर 2020 से इस प्रकार लगातार राज्य सरकार व इनकम टैक्स को चूना लगाया जाता रहा। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर डिस्ट्रिक्ट माइनिंग अफसर कान में तेल डालकर सोये रहें। वर्ष 2020 से अबतक डीएमओ के पद पर निशांत अभिषेक की पोस्टिंग है। अधिकारी इस गड़बढ़झाले पर लगाम लगाने की जगह चुपचाप शाह ब्रदर्स की लूट में मूकदर्शक बने रहे।
कल पढ़े- कैसे पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री की पुकार हो गयी दरकिनार।

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