एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर को 2 सितंबर 1669 को ध्वस्त कर दिया गया था। मंदिर के स्तंभों का उपयोग पहले मस्जिद के रूप में किया जाता था। एएसआई रिपोर्ट में दी गई तस्वीरें अब उपलब्ध हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से पांच लोगों को ज्ञानवापी परिसर पर 839 पन्नों की सर्वेक्षण रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट में कई बातें सामने आईं. जनार्दन रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख ज्ञानवापी परिसर में पाए जाते हैं। महामुक्ति मंडपम रिपोर्ट में कहा गया है. शिवलिंग के साथ कृष्ण हनुमान और विष्णु की मूर्तियाँ मिलीं। 2 सितंबर 1669 को कथित तौर पर मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। प्रारंभिक मंदिर के स्तंभों का उपयोग मस्जिदों में किया जाता था। बेसमेंट S2 में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं।
एसेट नंबर 005
यह एक संगमरमर की शिला है जिस पर “राम” अंकित हैं। इसकी लंबाई 15.5 सेंटीमीटर, चौड़ाई नौ सेंटीमीटर और मोटाई दो सेंटीमीटर है।
एसेट नंबर 06
यह तीन हिस्सों में मिली हनुमान की मूर्ति है, जो मार्बल की बनी हुई है। इसकी लंबाई 36 सेंटीमीटर, चौड़ाई 23 सेंटीमीटर और मोटाई दो सेंटीमीटर है। पहले हिस्से में इनके सिर पर मुकुट है। दूसरे हिस्से में दाएं हाथ में गदा धारण किए नजर आ रहे हैं, जबकि बांया हाथ टूटा हुआ है। गले में माला है, कमर बंध है और पीछे शॉल है। तीसरे हिस्से में बांया पैर टूटा हुआ नजर आ रहा है।
एसेट नंबर 09
यह भगवान कृष्ण की मूर्ति है, जो सेंटस्टोन से बनी हुई है। इसकी लंबाई 15 सेंटीमीटर, चौड़ाई आठ सेंटीमीटर और मोटाई पांच सेंटीमीटर है। मूर्ति का सिर नहीं है और दोनों हाथ भी टूटे हुए हैं। लेकिन दांया कंधा ऊपर की ओर उठा हुआ दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इनकी संरचना के आधार इस मूर्ति को भगवान कृष्ण का माना गया है। इनके गले में माला और यज्ञोपवीत है इसके अलावा नीचे धोती है।
एसेट नंबर 12
यह एक मकर है, जो पत्थर का बना है। इसकी लंबाई 42 सेंटीमीटर, ऊंचाई 24 सेंटीमीटर और चौड़ाई 12 सेंटीमीटर है। इसके शरीर पर मछली की तरह उकेरे गए निशान हैं। इसका मुंह ऊपर की और खुला हुआ है और इसकी पूंछ टूटी हुई है।
एसेट नंबर 26
यह हनुमान की मूर्ति है, जो मार्बल की बनी हुई है। इसकी लंबाई 21.5 सेंटीमीटर, चौड़ाई 16 सेंटीमीटर और गोलाई पांच सेंटीमीटर है। मूर्ति में हनुमान का बांया पैर घुटने से मुड़ा हुआ है और दांया पैर जमीन पर टिका हुआ है।
एसेट नंबर 35
यह एक महिला की मूर्ति है, जो टेराकोटा की बनी हुई है। रिपोर्ट में इसे आधुनिक काल का बताया गया है। इसकी लंबाई 8 सेंटीमीटर, चौड़ाई 5.5 सेंटीमीटर और गोलाई 2.5 सेंटीमीटर है। मूर्ति में महिला पैर मोड़कर बैठी हुई नजर आ रही है।
एसेट नंबर 46
यह भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति है। जिसे सेंडस्टोन से बनाया गया था। इसकी लंबाई 27 सेंटीमीटर, चौड़ाई 17 सेंटीमीटर और मोटाई 15 सेंटीमीटर है। मूर्ति के ऊपरी दाएं हाथ में गदा है और निचला दांया हाथ के हथेली टूटी हुई है। ऊपरी बाएं हाथ में चक्र है और निचले बाएं हाथ में शंख है।
एसेट नंबर 49
यह एक हाथी के शरीर का हिस्सा है, जो सेंडस्टोन से बनाया गया है। इसकी लंबाई-चौड़ाई 13-13 सेंटीमीटर और गोलाई 10 सेंटीमीटर है।
एसेट नंबर 54
यह एक महिला की खंडित मूर्ति है, जो टेराकोटा की बनी है। इसकी ऊंचाई आठ सेंटीमीटर, चौड़ाई तीन सेंटीमीटर और मौटाई सात सेंटीमीटर है। इसने साड़ी और आभूषण पहना हुआ है। सिर साड़ी के पल्लू ढका है।
एसेट नंबर 56
यह सात टोकन मिले हैं, जो धातु के हैं। रिपोर्ट में इसे आधुनिक काल के बताए गए हैं और इसका व्यास 3.1 सेंटीमीटर है।
एसेट नंबर 70
यह एक टूटा हुआ शिवलिंग है, जो मार्बल का है। इसकी लंबाई पांच सेंटीमीटर है।
एसेट नंबर 71
यह एक शीशे का पेंडेंट है। जिसे आधुनिक काल का बताया गया है। इसकी लंबाई और चौड़ाई दो सेंटीमीटर है। यह ज्यामितीय आकार में है और इसके दोनों और छेद है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसे एक आभूषण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता होगा।
एसेट नंबर 87
यह एक योनिपट्ट है, जो मार्बल का बना है। इसकी चौड़ाई आठ सेंटीमीटर है और मोटाई 1.5 सेंटीमीटर है। इसके केंद्र से शिवलिंग टूटा हुआ है।
एसेट नंबर 112
यह एक योनिपट्ट है, जो सेंडस्टोन का बना है। यह 21 सेंटीमीटर ऊंचा, छह सेंटीमीटर चौड़ा और इसका व्यास 14 सेंटीमीटर है। इस पर एक सांप की आकृति है और आगे से यह खंडित है।
एसेट नंबर 296
यह एक गदा है, जिसका निचला हिस्सा टूटा हुआ है। यह सेंडस्टोन का बना हुआ है। इसकी लंबाई नौ सेंटीमीटर और व्यास 10.3 सेंटीमीटर है।
ज्ञानवापी परिसर की दीवार पर तेलगू और कन्नड़ लिपि में लेख लिखी हुई नजर आ रही हैं।