रांची। रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर मंदिर में पंद्रह दिनों तक अज्ञातवास में रहने के बाद आज भगवान दर्शन देंगे। इस मौके पर विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। चार जून को भगवान अज्ञातवास में चले गए थे। आज उनका भव्य नेत्रदान होगा।
मंदिर मंडप में शाम के 4:30 बजे भगवान बाहर निकलेंगे और भक्तों को दर्शन देंगे। इसके बाद अगले दिन यानी 20 जून को भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा शाम के चार बजे निकाली जाएगी और भक्त भगवान का रथ खींचते हुए उन्हें मौसीबाड़ी पहुंचाएंगे। यहां दस दिनों तक रहने के बाद 29 जून को वे अपने धाम लौटेंगे। इसे घुरती रथ कहा जाता है।
पंद्रह दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा भक्तों के बीच आएंगे। इससे पूर्व संध्या चार बजे नेत्रदान अनुष्ठान पूर्ण होगा। धार्मिक विधान के अनुसार पंद्रह दिनों के एकांतवास के दौरान भगवान जगन्नाथ सहित भाई-बहन का विशेष शृंगार किया जाता है। अंतिम दिन नेत्र का शृंगार किया जाता है। इसे ही नेत्रदान कहा जाता है।
मान्यता है कि ज्येष्ठ की गर्मी में प्रभु इतना ज्यादा स्नान कर लेते हैं कि वे बीमार पड़ जाते हैं। पंद्रह दिनों तक उनका उपचार किया जाता है। स्वस्थ होते हैं तो वे अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। अनुष्ठान के दौरान भव्य रूप से 108 दीपों की आरती होगी। पूजा-अर्चना के बाद गुड़ की बुंदिया और मालपुआ का भोग लगाया जाएगा।
मारवाड़ी सहायक समिति रथयात्रा मेले में 1913 से सहयोग कर रही है। इस बार समिति के प्रवक्ता संजय सर्राफ एवं मनीष लोधा को जगन्नाथपुर रथ मेला का प्रभारी नियुक्त किया गया। आज चार बजे नेत्र उत्सव में भगवान का पुष्प शृंगार एवं प्रसाद (मालपुआ) का भोग वितरण समिति की ओर से किया जाएगा।
20 जून मंगलवार को रथयात्रा के दिन संपूर्ण मंदिर परिसर में फूलों का अलौकिक शृंगार, रथ का शृंगार किया जाएगा। इसके बाद महाभोग लगाया जाएगा, जिसमें बुंदिया, भुजिया पेड़ा, मीठा पुलाव रहता है। साउंड एंव लाइट की व्यवस्था की गई है। विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का आयोजन एवं 251 किलो बुंदिया का भोग लगाया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए शिविर में चना एवं पानी की व्यवस्था की गई है।
मंगलवार को प्रभु मंदिर प्रांगण में ही सुबह छह बजे से भक्तों को दर्शन देंगे। मंदिर में इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। सैकड़ों स्वयं सेवक के साथ पुलिस भी सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालेंगी। इसके बाद से ही दस दिवसीय मेले का भी शुभारंभ हो जाएगा।
यहां पड़ोसी राज्यों से भी कलाकार, दुकानदार, झूले वाले आते हैं। राज्य के विभिन्न जिलों से भी दुकानदार यहां दुकान लगाते हैं। पहली बार मेले की नीलामी 75 लाख में की गई है इसलिए छोटे दुकानदार काफी परेशान हैं। हालांकि, मेला सज गया है। मंगलवार से दस दिनों तक काफी चहल-पहल रहेगी।