रांची। राज्य सरकार के मिड डे मील के खाते से 101 करोड़ रुपयों का घोटाला करने के मुख्य आरोपित संजय तिवारी ने ईडी की विशेष अदालत में सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया। वह 25 मार्च से फरार चल रहा था। इस बीच उसके फर्जी कोविड रिपोर्ट का मामला सामने आया, जिसमें रिम्स के माइक्रोबायलाजी विभाग के एक कर्मी और संजय तिवारी के स्टाफ की गिरफ्तारी की गई।
रिम्स के स्वास्थ्य कर्मियों की सांठगांठ पर मोटी रकम की लालच में फर्जी कोविड रिपोर्ट मिनटों में बना दी जा रही है। इस तरह की फर्जी रिपोर्ट पकड़े जाने पर रिम्स प्रबंधन ने बरियातू थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके बाद रिम्स के माइक्रोबायलाजी विभाग के एक कर्मी प्रियरंजन रवि को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। यह मामला शनिवार को सामने आया जब 101 करोड़ के मिड डे मील घोटाले के मुख्य आरोपी संजय तिवारी ने रिम्स से फर्जी तरीके से कोविड रिपोर्ट 25 मार्च को बनवाया था।
संजय तिवारी की इस रिपोर्ट पर ईडी ने रिम्स प्रबंधन से इसकी सत्यता के बारे में पूछा था, जिसके बाद रिम्स निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच की गई, जिसमें यह कोविड की रिपोर्ट फर्जी पायी गई। प्रबंधन ने पूरी अंतरिम रिपोर्ट बरियातू थाने को सौंपते दी है।
रिम्स अधीक्षक डा हीरेंद्र बिरुआ ने बताया कि इसमें माइक्रोबायलाजी विभाग के डाक्टर हैं या कर्मी शामिल है, यह अब पुलिस के हाथ है। वो पूरे मामले की छानबीन कर रही है। दूसरी ओर रिम्स माइक्रोबायलाजी विभाग के एचओडी से भी अन्य रिपोर्ट की जांच रिपोर्ट मांगी गई है।
पुलिस ने छानबीन कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक रिम्स का कर्मी प्रियरंजन रवि है और दूसरा संजय तिवारी का स्टाफ अमरदीप राय शामिल है। पुलिस ने बताया कि अभी दोनों से पूछताछ चल रही है और इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। आशंका जतायी जा रही है कि इस पूरे काम में रिम्स के किसी बड़े अधिकारी का भी हाथ हो सकता है, हालांकि, इस पूछताछ के बाद कोई नया तथ्य सामने आ सकता है।
मालूम हो कि संजय ने रिम्स के माइक्रोबायलाजी विभाग के नाम पर फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया था, जिसकी लैब आईडी 19nCov/8L36068 और एसआरएफ आईडी 2033902753189 है, जो फर्जी निकला। किसी व्यक्ति ने गलत ढंग से एतवा टोप्पो के व्यक्तिगत डाटा को आईसीएमआर के पोर्टल पर अपलोड करने के बाद डाउनलोड कर रिपोर्ट पर फर्जी हस्ताक्षर किया था।
ईडी ने शनिवार को संजय तिवारी के ठिकाने पर छापेमारी की थी। संजय कुमार तिवारी भानु कंस्ट्रक्शन का संचालक है। ईडी ने उसे पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गया था और उसके बाद से ही फरार था। पीएमएलए की विशेष कोर्ट ने शुक्रवार को उसके खिलाफ वारंट जारी किया था, जिसके तहत अब एजेंसी संजय तिवारी की गिरफ्तार कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने संजय तिवारी को प्रोविजनल बेल दी थी, जिसकी अवधि खत्म हो गयी है। जमानत की अवधि खत्म होने के बाद भी संजय तिवारी ने कोर्ट के समक्ष सरेंडर नहीं किया है। सरेंडर करने से बचने के लिए इस तरह के फर्जी कोविड रिपोर्ट को बनाया गया ताकि कुछ दिन का समय उसे मिल सके।