जेपीएससी अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को बर्खास्त करने की मांग पर अड़ा विपक्ष
रांची। शीतकालीन सत्र के चौथे दिन ध्यानाकर्षण की सूचना देते समय आवेश में आकर भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने सदन के अंदर प्रोसिडिंग पेपर फाड़ दिया। जिसके बाद सत्ता पक्ष ने कार्रवाई की मांग की। स्पीकर ने मनीष जायसवाल को सत्र के बाकी दिन की कार्यवाही में भाग लेने से निलंबित कर दिया। मनीष जायसवाल के सदन से निलंबन के बाद भाजपा के सभी विधायक विरोध करने लगे। सभी भाजपा विधायक सदन के अंदर प्रोसिडिंग पेपर फाड़ने लगे। साथ ही भाजपा के सारे विधायक नारेबाजी करने लगे कि
मनीष जायसवाल के निलंबन को स्पीकर वापस लें।
वहीं संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा के सभी विधायकों पर कार्रवाई की मांग की। मनीष जायसवाल स्पीकर के आदेश के बाद भी सदन से बाहर नहीं गए तो स्पीकर ने मार्शल को आदेश दिया कि विधायक को मार्शल आउट करें। सभी मार्शल विधायक को सदन से बाहर करने लगे तो इस दौरान मनीष जायसवाल और मार्शल के बीच नोकझोंक भी हुई। मनीष जायसवाल को सदन से निलंबित किये जाने पर भाजपा विधायक सीपी सिंह ने स्पीकर से कहा कि सदन की शुरूआत होते ही संसदीय कार्य मंत्री ने हमारे विधायक को निलंबित करने की मांग की। इस पर आपने हमारे विधायक को निलंबित कर दिया।
विधानसभा में आज भाजपा विधायक आसन के समक्ष धरना पर बैठ गए थे। विधायक जेपीएससी की पीटी परीक्षा रद करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि जेपीएससी के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को राज्य सरकार बर्खास्त करे। मालूम हो कि मुख्यमंत्री पिछले दिनों सदन को बता चुके हैं कि जेपीएससी परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। इसलिए परीक्षा रद नहीं होगी। जेपीएससी अध्यक्ष ने भी घोषणा कर दी है कि 28 से 30 जनवरी 2022 तक मुख्य परीक्षा होगी। विपक्ष पिछले चार दिनों से जेपीएससी परीक्षा रद करने की मांग पर अड़ा है। हर दिन इसको लेकर सदन में हंगामा हो रहा है।
आप लोकतंत्र भंग करना चाहते हैं : स्पीकर
नाराज स्पीकर ने कहा कि आप विधानसभा के वेल में भी बैठते हैं, सवाल भी करते हैं, जवाब भी नहीं सुनना चाहते हैं, हल्ला भी करते हैं और कहते हैं कि विधानसभा पर भरोसा भी नहीं है। इसका मतलब साफ है कि आप लोकतंत्र की व्यवस्था को भंग करना चाहते हैं। लोकतंत्र पर आपका भरोसा नहीं है।
सरयू राय के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने दिया भ्रामक जवाब
रांची। विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री से फरवरी 2020 से जुलाई 2020 के बीच राज्य के सूचीबद्ध अस्पतालों के संबंध में जानकारी मांगी थी, जिन्हें मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा था कि उक्त अवधि में ब्रह्मानंद अस्पताल उक्त योजना के तहत सूचीबद्ध नहीं था। लेकिन उसे सरकार ने योजना का लाभ प्रदान कर दिया। इस मामले में सरयू राय स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं थे। स्पीकर ने मंत्री को 21 दिसंबर को पुन: जवाब देने का निर्देश दिया था। आज जब सरयू ने दोबारा सवाल उठाया तो स्पीकर ने मंत्री से पूछा। स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने जो जवाब दिया था, वह भ्रामक था। इस पर स्पीकर ने बन्ना गुप्ता को नसीहत दी कि वह पहले विभागीय अधिकारियों से बात करें। उसके बाद ही सही उत्तर सदन में दें।
विधानसभा में विपक्ष का जोरदार हंगामा, मनीष जायसवाल ने फाड़ा प्रोसिडिंग, हुए मार्शल आउट
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